प्रेगनेंसी में वाइट डिस्चार्ज कब होता है? (White discharge in pregnancy )

प्रेगनेंसी में वाइट डिस्चार्ज कब होता है? (White discharge in pregnancy )

             प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में कई बदलाव होते हैं, जिनमें से एक है व्हाइट डिस्चार्ज या सफेद पानी (White discharge) का आना। यह एक सामान्य प्रक्रिया है जो शरीर के हार्मोनल परिवर्तन और गर्भाशय की साफ-सफाई का हिस्सा है। हालांकि, कई महिलाओं के मन में यह सवाल उठता है की प्रेगनेंसी में वाइट डिस्चार्ज (White discharge in pregnancy ) का बढ़ा हुआ सामान्य है, या यह किसी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है?

              इस लेख में, हम विस्तार से चर्चा करेंगे कि प्रेगनेंसी में वाइट डिस्चार्ज (White discharge in pregnancy ) होता है, इसके सामान्य और असामान्य संकेत क्या हैं, और कब आपको डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। साथ ही, हम इस स्थिति  से बचने के लिए जरूरी टिप्स और घरेलू उपाय भी साझा करेंगे। अगर आप भी प्रेगनेंसी के दौरान व्हाइट डिस्चार्ज को लेकर चिंतित हैं, तो यह लेख आपके लिए है। आइए, जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।

Table of Contents

1. प्रेगनेंसी में वाइट डिस्चार्ज (White discharge in pregnancy)क्यों होता है

            लड़कियों में लगभग 13 साल की उम्र में, जब पीरियड्स शुरू होने वाले होते हैं, उससे करीब 6 महीने पहले से वजाइना से हल्का-सा वाइट डिस्चार्ज शुरू हो सकता है। यह डिस्चार्ज पूरे मेंस्ट्रुअल साइकिल (Menstrual Cycle) में थोड़ी मात्रा में हो सकता है और मेनोपॉज की उम्र तक जारी रहता है। इसका मुख्य कारण बॉडी में फीमेल हार्मोन्स जैसे एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का प्रभाव है। सामान्य डिस्चार्ज साफ या हल्के सफेद रंग का होता है और इसमें कोई तीखी बदबू नहीं होती। हल्की-सी स्मेल हो सकती है, जो सामान्य मानी जाती है।

            प्रेगनेंसी के दौरान वाइट डिस्चार्ज (सफेद पानी) एक सामान्य प्रक्रिया है, जो कई कारणों से होता है। इसे मेडिकल भाषा में “ल्यूकोरिया(Leukorrhea)” कहते हैं। गर्भावस्था के दौरान इसका होना सामान्य माना जाता है, क्योंकि इस समय शरीर में कई तरह के हार्मोनल और शारीरिक बदलाव होते हैं। हालांकि, कई बार यह चिंता का कारण बन सकता है, खासकर यदि डिस्चार्ज में बदलाव हो या असामान्य लक्षण दिखें।

प्रेगनेंसी के दौरान वाइट डिस्चार्ज की मात्रा में वृद्धि कई कारणों से होती है:

  • हार्मोनल बदलाव: प्रेगनेंसी के दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे वेजाइना में डिस्चार्ज की मात्रा बढ़ जाती है।
  • ब्लड फ्लो में वृद्धि: गर्भाशय के आसपास ब्लड फ्लो में वृद्धि के कारण डिस्चार्ज की मात्रा भी बढ़ जाती है।
  • फ्लशिंग मैकेनिज्म: वाइट डिस्चार्ज शरीर का एक तरीका होता है, जिससे बैक्टीरिया और डेड सेल्स बाहर निकलते हैं, जो वेजाइना को संक्रमण से सुरक्षित रखने में सहायक होता है।

2. सामान्य और असामान्य डिस्चार्ज में फर्क

प्रेगनेंसी के दौरान वाइट डिस्चार्ज (White discharge in pregnancy ) में  सामान्य और असामान्य प्रकार का फर्क समझना जरूरी है:

  •  सामान्य डिस्चार्ज: हल्के सफेद रंग का, पतला या थोड़ा गाढ़ा, और हल्का गंध वाला डिस्चार्ज सामान्य माना जाता है। इसमें जलन, खुजली या तेज गंध नहीं होनी चाहिए।
  •  असामान्य डिस्चार्ज: अगर डिस्चार्ज का रंग हरा, पीला, ग्रे, या भूरा हो जाए, उसमें बदबू हो या खुजली और जलन हो, तो यह संक्रमण का संकेत हो सकता है। ऐसे मामलों में डॉक्टर से संपर्क करना आवश्यक होता है।

3. इंफेक्शन के लक्षण और सावधानियां

प्रेगनेंसी के दौरान वेजाइनल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि शरीर की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है।

  • संक्रमण के प्रकार: सबसे आम संक्रमण है कैंडिडा या यीस्ट इंफेक्शन, जो सफेद, गाढ़े और चिपचिपे डिस्चार्ज का कारण बनता है।
  • लक्षण: खुजली, जलन, बदबू, और दही जैसा गाढ़ा डिस्चार्ज।
  • सावधानियां: प्राइवेट पार्ट को सूखा और साफ रखना, कॉटन के कपड़े पहनना, और सुगंधित उत्पादों का उपयोग न करना।

( और पढे :योनि में जलन और खुजली के 12 कारण और उपाय  )

4. प्रेगनेंसी में लेबर पेन और म्यूकस प्लग का डिस्चार्ज

प्रेगनेंसी के अंतिम समय में सर्विक्स पर म्यूकस प्लग बनता है जो गर्भाशय को सुरक्षित रखने में सहायक होता है।

  • म्यूकस प्लग: यह प्लग गर्भाशय के मुंह को बंद रखता है और बाहरी संक्रमण से सुरक्षा करता है।
  • शो (शुरुआती संकेत): लेबर पेन के शुरू होने पर म्यूकस प्लग निकल सकता है, जिसे “शो” कहा जाता है। इसमें हल्का खून भी हो सकता है, जो लेबर का शुरुआती संकेत है।

5. प्रेगनेंसी वाइट डिस्चार्ज और एमनियोटिक फ्लूइड (Amniotic fluid) का फर्क

अक्सर महिलाएं वाइट डिस्चार्ज को एमनियोटिक फ्लूइड (Amniotic fluid)  समझ लेती हैं, जबकि दोनों में फर्क होता है।

  • कैसे पहचानें: एमनियोटिक फ्लूइड पानी जैसा पतला होता है और निरंतर रिसता रहता है, जबकि वाइट डिस्चार्ज गाढ़ा और कभी-कभी रुक-रुक कर आता है।
  • रिसाव की स्थिति में उपाय: यदि पानी का रिसाव हो रहा हो, तो यह खतरे का संकेत हो सकता है और डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए।

6. प्रेगनेंसी में वाइट डिस्चार्ज (White discharge in pregnancy ) को रोकने उपाय

1. लूज़ कपड़े पहनें : टाइट कपड़ों से बचें और कॉटन के कपड़े पहनें ताकि त्वचा को सांस लेने में आसानी हो।

 

2. अंडरगार्मेंट्स की साफ-सफाई : अंडरगार्मेंट्स को साफ करके धूप में सुखाएं। बंद कमरे में सूखने से बचें ताकि बैक्टीरिया न पनपें।

 

3. निजी स्वच्छता का ध्यान : टॉयलेट के बाद वजाइनल एरिया को केवल पानी से धोएं। साबुन या सेंटेड उत्पादों का उपयोग न करें।हमेशा फ्रंट से बैक की दिशा में साफ करें।

 

4. सुरक्षित संबंध बनाएं : शारीरिक संबंध के दौरान कंडोम का उपयोग करें ताकि संक्रमण से बचाव हो सके।

 

5. सार्वजनिक टॉयलेट्स का इस्तेमाल : सार्वजनिक टॉयलेट का उपयोग करते समय टॉयलेट सीट को क्लीनर या टिश्यू से साफ करें।

 

6. इम्यूनिटी को मजबूत करें :

  • विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें और संतुलित आहार अपनाएं।
  • दिन में 3-4 लीटर पानी पिएं ताकि शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकल सकें।

 

7. दही का सेवन : दही और छाछ जैसे प्रोबायोटिक्स वाले खाद्य पदार्थ खाएं, जो इन्फेक्शन को रोकने में मदद करते हैं।

 

8. घरेलू उपाय अपनाएं :

  • हल्का संक्रमण महसूस होने पर अजवाइन उबले पानी से वजाइनल एरिया धोएं।
  • नारियल तेल को सूखे अंगों पर लगाएं क्योंकि इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं।

 

9. प्रेगनेंसी में विशेष ध्यान :

  • साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें और प्राइवेट पार्ट को हमेशा सूखा रखें।
  • आरामदायक और हवादार कॉटन के अंडरगार्मेंट्स पहनें।
  • प्रेगनेंसी के दौरान सुरक्षित संबंध बनाएं और टैंपोन के उपयोग से बचें।

 

10 हाइड्रेशन का महत्व : पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं ताकि शरीर हाइड्रेटेड रहे और टॉक्सिन्स बाहर निकलें।

 

11. सही दिशा में सफाई करें : हमेशा वजाइना को फ्रंट से बैक की तरफ साफ करें।

 

12. दही का सेवन :दही में प्रोबायोटिक्स होते हैं जो इन्फेक्शन को रोकने में सहायक होते हैं।

 

13. साफ-सफाई रखें : हमेशा अपने निजी अंगों को साफ रखें, लेकिन अंदर तक पानी डालकर साफ न करें क्योंकि इससे हेल्दी बैक्टीरिया नष्ट हो सकते हैं।

 

14. घरेलू उपाय:अजवाइन : यदि हल्का संक्रमण महसूस हो रहा है, तो आप अजवाइन उबले पानी से धोने का तरीका अपना सकते हैं। अजवाइन में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। इसके अलावा, नारियल तेल भी प्रभावी एंटी-बैक्टीरियल साबित होता है। इसे सूखे अंगों पर लगाएं।

 

15. कठोर साबुन का उपयोग न करें  : वेजाइनल एरिया को क्लीन करने के लिए किसी भी कठोर साबुन या अन्य उत्पादों का उपयोग न करें। इसके लिए डॉक्टर से सलाह लेकर ही किसी प्रोडक्ट का उपयोग करें। इन उपायों को अपनाकर आप व्हाइट डिस्चार्ज को नियंत्रित कर सकते हैं और संक्रमण से बचाव कर सकते हैं।

 

इन उपायों को अपनाकर आप व्हाइट डिस्चार्ज ( White discharge )को नियंत्रित कर सकते हैं और संक्रमण से बचाव कर सकते हैं।

 

7. कब डॉक्टर से संपर्क करें?

यदि वाइट डिस्चार्ज के साथ कोई असामान्य लक्षण दिखे तो डॉक्टर से मिलना चाहिए:

  • रंग में बदलाव (हरा, पीला, ग्रे, भूरा)
  • तेज गंध, खुजली, या जलन
  • खून मिक्स्ड या अधिक मात्रा में डिस्चार्ज
  • पेट में दर्द या असहजता के साथ डिस्चार्ज
  • अत्यधिक गाढ़ा और चिपचिपा डिस्चार्ज (संक्रमण का संकेत)

8. डॉक्टर द्वारा की जाने वाली जांच

यदि डॉक्टर को संक्रमण का संदेह होता है, तो वेजाइनल स्वैब टेस्ट किया जा सकता है। इससे संक्रमण की जानकारी मिलती है और डॉक्टर सही उपचार बता सकते हैं।

  • वेजाइनल स्वैब टेस्ट: इसमें वेजाइना से एक नमूना लिया जाता है और जांच के लिए भेजा जाता है।
  • अन्य जांच: जरूरत पड़ने पर अल्ट्रासाउंड या अन्य जांचें भी की जा सकती हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि गर्भस्थ शिशु स्वस्थ है।

निष्कर्ष

       प्रेगनेंसी के दौरान वाइट डिस्चार्ज (White discharge in pregnancy )का होना सामान्य है और यह वेजाइना को संक्रमण से सुरक्षित रखने में सहायक होता है। लेकिन असामान्य लक्षणों पर ध्यान देना जरूरी है ताकि किसी प्रकार का संक्रमण होने पर समय पर इलाज हो सके। साफ-सफाई, खानपान, और नियमित देखभाल से अधिकांश मामलों में इसे नियंत्रित रखा जा सकता है। यदि आप किसी भी प्रकार के असामान्य लक्षण महसूस करें, तो डॉक्टर से परामर्श लेने में देरी न करें। 

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