Yoga for first Trimester image

प्रेगनेंसी  में पहली तिमाही के लिए योग और प्राणायाम | Yoga for first Trimester

आज का योग अभ्यास पहले तीन महीनों के लिए है, जिसे ‘फर्स्ट ट्राइमेस्टर ( First Trimester )’ भी कहा जाता है। अगर मैं हफ्तों की बात करूं तो यह योग अभ्यास आप प्रेगनेंसी में शुरू के 13 हफ्तों तक आराम से कर सकते हैं। इस लेख में हम बद्ध कोणासन , बटरफ्लाई आसन ,प्रेगनेंसी दौरान स्ट्रेचिंग ,पारीव्रत जानु शिरासन , मालासन , मर्जरी आसान बितलीआसान (cat cow pose)  , सेतुबंध आसन (ब्रिज पोज़) के बारे मे जानेगे ।

प्रेगनेंसी में योग अभ्यास शुरू करने से पहले कुछ जरूरी बातें

  1. किसी भी तरह का योग अभ्यास, एक्सरसाइज या कोई फिजिकल एक्टिविटी तभी करें जब आपकी प्रेग्नेंसी सुरक्षित हो, यानी आपके डॉक्टर ने इसकी अनुमति दी हो।
  2. अगर आपको किसी तरह की असुविधा है, जैसे बैक पेन या मरोड़, तो प्रेगनेंसी में यह योग अभ्यास न करें।
  3. योग अभ्यास करते समय खाली पेट न रहें। प्रेगनेंसी के दौरान कुछ खाने के बाद एक से डेढ़ घंटे के बाद योग शुरू करें।
  4. प्रेगनेंसी आप फल, ड्राई फ्रूट्स या जूस ले सकते हैं। ज्यादा हैवी खाना न खाएं क्योंकि इससे एसिडिटी या हार्टबर्न की समस्या हो सकती है।

प्रेगनेंसी में पहली तिमाही के महत्व ( Importance of Pregnancy First Trimester ):

पहली तिमाही में शरीर में कई बदलाव होते हैं। हॉर्मोन्स बदलते हैं और शारीरिक ढांचा भी बदलता है। इस दौरान थकान और मतली महसूस होना आम है। अगर आपको लगता है कि आप व्यायाम नहीं कर सकते, तो आराम करना ठीक है।

 

इस समय वजन में बदलाव भी हो सकता है। किसी का वजन घट सकता है, तो किसी का बढ़ सकता है। हर व्यक्ति की प्रेग्नेंसी और शरीर अलग होता है, इसलिए तुलना न करें।

प्रेगनेंसी में पहली तिमाही ( First Trimester) में योग अभ्यास के लाभ:

यह योग अभ्यास वजन कम करने के लिए नहीं है, बल्कि प्रेग्नेंसी को आरामदायक बनाने के लिए है। इससे क्रैम्पिंग, शरीर की सूजन, थकावट कम हो सकती है। योग से मानसिक फोकस बढ़ता है और इमोशंस को स्थिरता मिलती है।

 

योग अभ्यास की शुरुआत:

इस लेख में मैं आपको कुछ ऐसे योग आसनों के बारे में बताऊंगी जिन्हें आप अपनी पूरी प्रेग्नेंसी के दौरान कर सकते हैं।

अंत में, मैं कुछ ऐसे योग आसनों बारे में बताऊंगी जिन्हें आपको बिल्कुल अवॉइड करना है।

प्रेगनेंसी में ध्यान रखने योग्य बातें:

 

कोशिश करें कि दिन में 5 से 10 मिनट जमीन पर बैठें। यह आपके शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है।

 

चेयर पर लंबे समय तक बैठने से क्रैंपिंग और दर्द की समस्या हो सकती है, इसलिए दिन में एक-दो बार जमीन पर बैठने की आदत डालें।

1. बद्ध कोणासन

यह आसन पेल्विक फ्लोर के लिए बहुत ही अच्छा है क्योंकि इससे हमारी मांसपेशियां फ्लेक्सिबल और मजबूत होती हैं। जब आप प्रेग्नेंट होते हैं, तो इस प्रकार के आसन आपके लिए लाभदायक हो सकते हैं।

अगर आप नीचे सुखासन में बेढ़े आसान करते हो तो  इसमें असुविधा महसूस हो सकती हैं। तो अपने हिप्स के नीचे एक तौलिया या पतला तकिया रख सकते हो । इससे आपको अधिक सपोर्ट मिलेगा और आप ज्यादा देर तक आराम से बैठ सकेंगी।

1. बद्ध कोणासन Image

बद्ध कोणासन के लिए निर्देश:

  1. दोनों पैरों के तलवों को आपस में मिलाएं।
  2. चारों उंगलियों से अपने पैरों के पंजों को पकड़ें।
  3. कंधों को सीधा रखें और अपने पेल्विक एरिया को जमीन पर स्थिर करें। इससे आपकी पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को अच्छा सपोर्ट मिलेगा।
  4. इस आसन में 15 से 20 सेकंड तक रहें, लंबी और गहरी सांस लेते रहें।
  5. अपने पैरों को जितना नीचे ले जा सकें, उतना ले जाएं, लेकिन ज़बरदस्ती न करें। अगर आपका पैर एक स्तर पर रुक रहा है, तो वहीं रुकें।
  6. चेहरा सीधा रखें और हल्की मुस्कान बनाए रखें।

इस आसन को आप अपनी पूरी प्रेग्नेंसी के दौरान कर सकती हैं। यह आसन पेल्विक क्षेत्र को आराम देने और मांसपेशियों को स्ट्रेच करने में मदद करेगा।

2. बटरफ्लाई आसन

अब हम बटरफ्लाई आसन के बारे में जानेगे ।  जिसे बद्ध कोणासन से ही शुरू किया जाता है। इसमें हम अपने पैरों को ऊपर-नीचे करते हैं। इसे 5 से 10 बार आराम से करना चाहिए। मैंने देखा है कि कुछ लोग इसे बहुत जोर से करते हैं, लेकिन बटरफ्लाई जितना आराम से की जाएगी, उतना ही प्रभावी है।

बटरफ्लाई आसन image

बटरफ्लाई आसन का सही तरीका :

  1. बद्ध कोणासन की स्थिति में बैठें।
  2. धीरे-धीरे सांस भरते हुए, दोनों पैरों को ऊपर उठाएं।
  3. फिर हल्के से सांस छोड़ते हुए, दोनों पैरों को नीचे लाएं।
  4. इस प्रक्रिया को आराम से 5 से 10 बार दोहराएं।

बटरफ्लाई आसन के बारे में महत्वपूर्ण सुझाव:

इस आसन को करने के लिए बहुत जोर लगाने की आवश्यकता नहीं है। इसे धीरे-धीरे और आराम से करें।

 

आप इस आसन को सोने से पहले बिस्तर पर भी कर सकते हैं, इसके लिए अलग से किसी तैयारी की जरूरत नहीं है। यह एक सरल और प्रभावी आसन है।

बटरफ्लाई और बद्ध कोणासन का संयोजन और लाभ

 

बटरफ्लाई और बद्ध कोणासन का संयोजन बहुत लाभकारी होता है। यह आसन शरीर को आराम देने और पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को फ्लेक्सिबल बनाने में मदद करता है।

 

5 से 10 बार बटरफ्लाई आसन करने के बाद, हाथों को हल्के से छोड़ते हुए आप फिर से सुखासन में बैठ सकते हैं।

3. प्रेगनेंसी दौरान स्ट्रेचिंग

वज्रासन में साइड स्ट्रेचिंग

वज्रासन में साइड स्ट्रेचिंग image

वज्रासन में बैठने के लिए, अपने दोनों पैरों को मोड़कर, हिप्स को एड़ियों के बीच में रखें। अगर आपको ज्यादा सपोर्ट की जरूरत है, तो आप एक तौलिया या तकिया एड़ियों और हिप्स के बीच में रख सकते हैं। इससे आपको आराम मिलेगा।

  1. दाएँ हाथ को साइड में रखें और बाएँ हाथ को सांस भरते हुए ऊपर की ओर उठाएं।
  2. ध्यान रखें कि आपकी छाती अंदर न जाए; इसे खुला रखें।
  3. सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे साइड में झुकें। इस दौरान अपनी नज़र हाथ की ओर रखें।
  4. इसे एक बार दाएँ और एक बार बाएँ करें। इसे पाँच बार दोहराएं (प्रत्येक साइड पर पाँच बार)।

वज्रासन में सीटेड चेस्ट स्ट्रेच

वज्रासन में सीटेड चेस्ट स्ट्रेच image
  1. दोनों हाथों को सामने की ओर रखें। सांस भरते हुए छाती को आगे की ओर ले जाएं।
  2. दोनों हाथों को पीछे ले जाएं जितना पीछे जा सकते हैं, सिर ऊपर की ओर रखें।
  3. सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे हाथों को घुमाएं और छाती को अंदर की ओर लाएं।
  4. इस प्रक्रिया को 4-5 बार दोहराएं।

सुखासन में स्ट्रेचिंग

सुखासन में स्ट्रेचिंग image
  1. आप सुखासन में थोड़े खुले पैरों के साथ बैठें। राइट लेग को थोड़ा आगे रखें।
  2. फिंगर्स को जमीन पर रखें, सांस भरते हुए आगे झुकें। ध्यान रखें कि पेट पर दबाव न पड़े।
  3. इस प्रक्रिया को एक बार दाएँ और एक बार बाएँ पैर के साथ दोहराएं।

4. पारीव्रत जानु शिरासन

पारीव्रत जानु शिरासन image
  1. एक पैर को मोड़ें और दूसरे को साइड में फैलाएं। आप तौलिया या बेल्ट का सहारा ले सकते हैं।
  2. सांस भरते हुए हाथों को ऊपर की ओर उठाएं और साइड में झुकें।
  3. 3-5 गहरी सांसें लें, फिर वापस सामान्य स्थिति में आएं।

5. मालासन

मालासन सपोर्ट के साथ image
मालासन बिना सपोर्ट के image

मालासन सपोर्ट के साथ:

  1. तौलिया या ब्लॉक का उपयोग करें। दोनों पैरों को साइड में फैलाएं।
  2. हाथों को नमस्ते की मुद्रा में लाएं और कोहनियों से घुटनों को पीछे की ओर धक्का दें।
  3. गहरी सांसें लें और इस स्थिति में 10 सेकंड तक रहें।

मालासन बिना सपोर्ट के:

 

  1. सपोर्ट हटाकर समान प्रक्रिया करें। ध्यान रखें कि पीठ सीधी रहे और छाती खुली रहे।
  2. 10 गहरी सांसें लें और आराम से बाहर आएं।

6. मर्जरी आसान बितलीआसान (cat cow pose)

6. मर्जरी आसान बितलीआसान (cat cow pose) image

अब हम वज्रासन में अगला आसन करेंगे। वज्रासन के बाद हम टेबल टॉप पोजीशन में आएंगे। यह आसन पीठ और पेल्विक क्षेत्र के लिए बहुत लाभकारी है। इसके लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

  1. दोनों हाथों को अपने सामने रखें और पैरों को हिप्स की चौड़ाई में फैलाएं।
  2. अब टेबल टॉप पोजीशन में आएं। ध्यान रखें कि पीठ एकदम सीधी हो।
  3. सांस भरते हुए धीरे-धीरे सिर को ऊपर उठाएं और छाती को नीचे की ओर करें।
  4. फिर सांस छोड़ते हुए अपने ठोड़ी को छाती की ओर ले आएं और पीठ को गोल करें।
  5. इस प्रक्रिया को धीरे-धीरे करें, जैसा दिखाया गया है। इसे तीन बार दोहराएं।
  6. जब पूरी प्रक्रिया हो जाए, तब धीरे-धीरे टेबल टॉप पोजीशन से वापस वज्रासन में आ जाएं।

 

7. सेतुबंध आसन (ब्रिज पोज़)

सेतुबंध आसन (ब्रिज पोज़) image

इस आसन के लिए, धीरे से पीठ के बल लेट जाएं। इसे निम्नलिखित तरीके से करें:

सेतुबंध आसन में प्रारंभ:

  1. पीठ के बल लेटें और पैरों को अपने कूल्हों की चौड़ाई में रखें।
  2. हिप्स को ऊपर उठाएं। यदि यह आसन कंफर्टेबल न हो, तो एक ब्लॉक या तकिए का उपयोग करें और उसे हिप्स के नीचे रखें।

सपोर्टेड सेतुबंध आसन:

  1. सपोर्ट के साथ आराम करें। पैरों को थोड़ा पीछे की ओर खींचें और इस स्थिति में कुछ देर रहें।
  2. ध्यान रखें कि यदि आपको असुविधा हो, तो उस आसन को न करें। पहले धीरे-धीरे इसे प्रैक्टिस करें।

बिना सपोर्ट के सेतुबंध आसन:

  1. पैरों को उसी स्थिति में रखें। सांस भरते हुए हिप्स को ऊपर उठाएं।
  2. घुटनों को पास रखें, बहुत अधिक न फैलाएं।
  3. सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे हिप्स को नीचे लाएं। इस प्रक्रिया को 3 से 5 बार दोहराएं।
  4. यह आसन सेकंड ट्राइमेस्टर में बहुत लाभकारी है। ध्यान रखें कि इसे धीमी गति में करें।
  5. हिप्स को धीरे-धीरे नीचे लाकर आराम करें।
  6. दोनों पैरों को सीधा करें और थोड़ी देर रिलैक्स करें।

8. प्रेगनेंसी में बेल्ट या दुपट्टे का उपयोग - पैरों को स्ट्रेच करने के लिए।

प्रेगनेंसी में बेल्ट या दुपट्टे का उपयोग image
  1. एक बेल्ट या दुपट्टा लें और इसे अपने पैर के पंजे के चारों ओर हल्के से लपेट लें।
  2. बेल्ट की मदद से अपने पैरों को धीरे-धीरे सीधा करें। यदि आपके घुटने पूरी तरह से सीधा नहीं हो रहे हैं, तो अपनी सीमा तक जाएं।
  3. बेल्ट की सहायता से पंजे को अपनी ओर खींचें। इससे आपको अपने पैर की पूरी लंबाई में खिंचाव महसूस होगा।
  4. यदि यह संभव न हो, तो घुटनों को हल्का मोड़ें और उसी स्थिति में खिंचाव महसूस करने का प्रयास करें।
  5. इस स्थिति को 5 से 10 सेकंड तक होल्ड करें। इस दौरान सांस गहरी और नियंत्रित रखें।
  6. अब दूसरे पैर के साथ भी यही प्रक्रिया दोहराएं। पहले पैर को सीधा रखते हुए, दूसरा पैर बेल्ट के साथ स्ट्रेच करें।
  7. धीरे-धीरे पैर को मोड़ें और बेल्ट को निकालें।
  8. दोनों पैरों को फोल्ड कर लें और थोड़ी देर आराम करें।

9. आनंद बालासन (Happy Baby Pose )

आनंद बालासन (Happy Baby Pose image

प्रेगनेंसी में आनंद बालासन से हम थाइज़ और पेल्विक क्षेत्र के लिए स्ट्रेचिंग कर सकते है । इस आसन को करते समय शरीर को आराम और संतुलन मिलता है। इसे निम्नलिखित तरीके से करें:

  1. पीठ के बल लेटें। एक पैर को ऊपर उठाएं और अपने अंगूठे को दो उंगलियों से पकड़ें।
  2. इसी प्रकार दूसरे पैर के साथ भी करें।
  3. दोनों पैरों को ऊपर की ओर उठाएं और हल्के से खींचें। अपने अंगूठों को अपनी ओर खींचते रहें।
  4. धीरे-धीरे गहरी सांस लें और छोड़ें। इस पोजिशन में 10 से 12 सेकंड तक रुक
  5. आप हल्के-हल्के साइड में रोल भी कर सकते हैं। यह आसन पेल्विक क्षेत्र और थाइज़ के लिए बेहद लाभकारी है।

सावधानी 

  • सभी आसनों को धीरे-धीरे करें और अपनी शारीरिक सीमा का ध्यान रखें।
  • 5 से 10 बार प्रत्येक आसन को दोहराएं।
  • प्रेगनेंसी के दौरान नई एक्सर्साइज को धीरे-धीरे और सावधानी से अपनाएं।

1. प्राणायाम की तैयारी - आरामदायक स्थिति में बैठना।

आज हम आखिर में प्राणायाम  का अभ्यास शुरू करेंगे। आखिर में हम सिर्फ दो प्रकार के प्राणायाम करेंगे: चंद्र भेदन और अनुलोम-विलोम। कृपया ध्यान दें कि प्रेगनेंसी के दौरान कपालभाति और भस्त्रिका प्राणायाम को पूरी तरह से अवॉइड करना चाहिए।

प्रेगनेंसी में चंद्र भेदन प्राणायाम

  1. आसन का चयन:
  • आप सुखासन, वज्रासन में बैठ सकते हैं या कुर्सी पर भी बैठ सकते हैं। ध्यान रहे कि पीठ और गर्दन सीधी होनी चाहिए।
  • बाएं हाथ से अपान मुद्रा बनाएं और दाएं हाथ से वायु मुद्रा बनाएं।
  • रीढ़ को सीधा रखें, आंखें बंद करें और आराम की मुद्रा में बैठें।
  1. प्राणायाम की प्रक्रिया:
  • अपनी दाहिनी नासिका (सूर्य नाड़ी) को बंद करें और बायीं नासिका (चंद्र नाड़ी) से धीरे-धीरे गहरी सांस अंदर लें।
  • बाईं नासिका को बंद करें और दाहिनी नासिका से धीरे-धीरे सांस को बाहर छोड़ें।
  • इसे 10 चक्रों (साइकिल्स) तक दोहराएं। सांस लेते समय मन को शांत और चेहरा रिलैक्स रखें।
  1. प्रभाव और लाभ:
  • यह प्राणायाम आपके मन को शांत करता है और शीतलता प्रदान करता है। प्रेगनेंसी के दौरान यह लेबर के समय और डिलीवरी में सांस को नियंत्रित रखने में मदद करता है।

प्रेगनेंसी में अनुलोम-विलोम प्राणायाम

  1. तैयारी:
  • अपनी आरामदायक स्थिति में बैठें। बाएं हाथ से चिन मुद्रा बनाएं और दाएं हाथ से वायु मुद्रा बनाएं।
  • आंखें बंद करें और पूरी तरह से आराम की स्थिति में रहें।
  1. प्राणायाम की प्रक्रिया:
  • दाहिनी नासिका (सूर्य नाड़ी) को बंद करें और बाईं नासिका (चंद्र नाड़ी) से धीरे-धीरे सांस अंदर लें।
  • अब बाईं नासिका को बंद करें और दाहिनी नासिका से सांस बाहर छोड़ें।
  • फिर दाहिनी नासिका से ही सांस अंदर लें और बाईं नासिका से बाहर छोड़ें।
  • इसे भी 10 चक्रों तक दोहराएं। अंतिम चक्र हमेशा बाईं नासिका पर समाप्त होना चाहिए।
  1. लाभ:
  • अनुलोम-विलोम प्राणायाम नाड़ियों को संतुलित करता है, शरीर में ऊर्जा का संचार बढ़ाता है, और मन को शांत करता है।

प्रेगनेंसी ध्यान और ओम मंत्र का उच्चारण

  1. ध्यान मुद्रा:
  • दोनों हाथों को घुटनों पर रखें और आंखें बंद करें।
  • कुछ क्षण गहरी सांस लें और छोड़ें। धीरे-धीरे अपने मन को शांत करें।
  1. ओम का जप:
  • तीन बार ओम का जप करें। गहरी सांस अंदर लें और ॐ कार का उच्चारण करें।
  • यह आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी है।
प्रेगनेंसी में में कोनसे योगासन नहीं करने चाहिए? image
  1. प्रेगनेंसी में में कोनसे योगासन नहीं करने चाहिए
  • पश्चिमोत्तानासन, उत्तानासन, और भुजंगासन जैसे आसनों से बचें, क्योंकि इनमें पेट पर दबाव पड़ता है।
  • पुशअप्स, क्रंचेस, और प्लांक्स जैसे व्यायाम भी प्रेगनेंसी में नहीं करने चाहिए।
  1. प्रेगनेंसी में कोनसी गलतियां बिलकुल नहीं करनी चाहिए ?
  • जंपिंग और रनिंग से बचें, खासकर यदि आप नियमित रूप से इन्हें नहीं करते हैं।
  • सोते समय पेट के बल ना सोएं।

यदि आपको किसी और प्रकार के प्राणायाम या आसन के बारे में जानकारी चाहिए कमेंट कर करके बताइए!

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *