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गर्भवती महिलाओ के लिए प्राणायाम  Pranayam for Pregnat Woman

नमस्ते! आज हम बात करेंगे गर्भवती महिलाओ के लिए प्राणायाम (Pranayam for Pregnat Woman) के महत्व और लाभों के बारे में। यदि आप नियमित योग का अभ्यास करते हैं, तो आप जानते होंगे कि प्राणायाम हमारी जीवनशैली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। प्रेगनेंसी के दौरान, इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है, क्योंकि शरीर में होने वाले बदलाव सांस लेने के तरीके पर भी असर डालते हैं।

 

प्राणायाम न केवल आपके शरीर को स्थिर और स्वस्थ रखता है, बल्कि मानसिक तनाव और चिंताओं को भी कम करता है। प्रेगनेंसी के दौरान शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में प्राणायाम एक अमूल्य साधन है। यह गर्भवती महिला को अपनी शारीरिक और मानसिक स्थिरता बनाए रखने में मदद करता है, जिससे गर्भस्थ शिशु का भी बेहतर विकास होता है।

Table of Contents

गर्भवती महिलाओ के लिए प्राणायाम के लाभ (Benefits of pranayam for pregnant women)

गर्भावस्था में नियमित प्राणायाम के फायदे:

  1. चाइल्डबर्थ के दौरान मदद लेबर पेन में सहायक; गहरी सांस लेने से प्रसव के समय सहनशक्ति और दर्द सहने की क्षमता बढ़ती है।
  1. बेहतर रक्त संचार – जिससे गर्भस्थ शिशु को सभी आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं, जिससे उसका संपूर्ण विकास सुगम होता है।
  1. ऑक्सीजन का बढ़ा हुआ प्रवाह – शरीर और मस्तिष्क को अधिक ऑक्सीजन मिलती है, जिससे थकान और कमजोरी कम होती है।
  1. तनाव में कमी – तनाव और चिंता को कम कर मानसिक शांति में सहायक।
  1. शरीर का डिटॉक्सिफिकेशन – शरीर से हानिकारक तत्व बाहर निकलते हैं, जिससे शरीर को ऊर्जा मिलती है।
  1. सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि – प्राणायाम से नेगेटिव थॉट्स दूर होते हैं और सकारात्मकता बढ़ती है, जो गर्भस्थ शिशु के मानसिक विकास में भी सहायक होती है।

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प्रेगनेंसी में प्राणायाम शुरू करने से पहले आवश्यक बातें

  1. आरामदायक पोजीशन में बैठें – सुखासन में बैठ सकते हैं, कुर्सी या किसी भी सहारे का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  1. पीठ और गर्दन सीधी रखें – इससे सांस का प्रवाह बेहतर होता है और प्राणायाम का पूरा लाभ मिलता है।
  1. आराम से बैठें – अगर कमर में दर्द हो तो दीवार का सहारा लें या बैठने के लिए तकिया प्रयोग करें।

गर्भवती महिलाओ के लिए किए जाने वाले 5 प्राणायाम का अभ्यास ( Practice of 5 Pranayamas for Pregnat Woman)

  1. समावृति प्राणायाम  – Samavriti Pranayama
  2. अनुलोम विलोम प्राणायाम  – Anulom Vilom Pranayama
  3. चन्द्रभेदन प्राणायाम – Chandrabhedana Pranayama
  4. शीतली प्राणायाम – Sheetali Pranayama
  5. उज्जायी प्राणायाम – Ujjayi Pranayama

1. समान वृत्ति प्राणायाम - Samavriti Pranayama

कैसे करें: आरामदायक मुद्रा में बैठें, धीरे-धीरे सांस अंदर लें और छोड़ें। ध्यान रखें कि अंदर लेने और छोड़ने का समय समान हो।

 

लाभ: यह तनाव को कम कर मन को शांत रखता है और मस्तिष्क को स्थिरता प्रदान करता है।

2. अनुलोम-विलोम प्राणायाम - Anulom Vilom Pranayama

कैसे करें: बाएं नासिका से धीरे-धीरे सांस अंदर लें और दाएं नासिका से बाहर छोड़ें, फिर दाएं से अंदर लें और बाएं से बाहर छोड़ें।

 

लाभ: यह शरीर का संतुलन बनाए रखता है, रक्त संचार को बेहतर करता है और मानसिक शांति में सहायक है। इस प्रक्रिया में मस्तिष्क को अधिक ऑक्सीजन मिलती है जो गर्भस्थ शिशु के विकास में सहायक होती है।

3. चंद्र भेदन प्राणायाम - Chandrabhedana Pranayama

कैसे करें: बाएं नासिका (चंद्र नाड़ी) से गहरी सांस अंदर लें और दाएं नासिका (सूर्य नाड़ी) से धीरे-धीरे बाहर छोड़ें।


लाभ: यह मानसिक शांति, ठंडक का अहसास, और एसिडिटी में राहत प्रदान करता है। गर्भवती महिलाओं के लिए इसे शाम के समय करना विशेष लाभकारी हो सकता है।

4. शीतली प्राणायाम - Sheetali Pranayama

गर्भवती महिलाओ के लिए प्राणायाम Pranayam for Pregnat Woman शीतली प्राणायाम | Sheetali Pranayama IMAGE

कैसे करें: जीभ को बाहर निकालकर उसे रोल करें और मुंह से गहरी सांस अंदर लें, फिर नासिका से धीरे-धीरे सांस छोड़ें।

 

लाभ: यह प्राणायाम शरीर को ठंडा रखता है, एसिडिटी और पाचन संबंधी समस्याओं में राहत देता है। यह गर्भावस्था के दौरान होने वाले गर्मी के अहसास को कम करता है।

5. उज्जयी प्राणायाम - Ujjayi Pranayama

उज्जायी प्राणायाम | Ujjayi Pranayama IMAGE

कैसे करें: गले से घर्षण की हल्की आवाज़ करते हुए सांस अंदर लें और नासिका से धीरे-धीरे सांस बाहर छोड़ें।

 

लाभ: यह मानसिक शांति, ध्यान में वृद्धि, और बेहतर नींद के लिए सहायक है। रात में सोते समय इसका अभ्यास करना बहुत ही फायदेमंद है।

 

ॐ कार

अंत में ॐ कार  का उच्चारण

 

प्राणायाम के अंत में तीन बार ॐ कार  का उच्चारण करें। यह एक प्रकार का मानसिक उपचार है जो न केवल मन को शांत करता है बल्कि आपको मानसिक शांति भी प्रदान करता है। ॐ कार का उच्चारण शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और पूरे शरीर को रिलैक्स करता है।

प्रेगनेंसी में प्राणायाम से जुड़ी कुछ सावधानियाँ

  1. प्राणायाम खाली पेट करें।
  1. खाना खाने के तुरंत बाद प्राणायाम न करें, कम से कम 2 घंटे का समय दें।
  1. धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाएं और अधिक प्रयास न करें। यदि चक्कर या कमजोरी महसूस हो तो तुरंत रुक जाएं।

प्राणायाम के यह अभ्यास प्रेगनेंसी के दौरान न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होते हैं। इससे गर्भवती महिला को अपनी स्थिति में सकारात्मकता महसूस होती है और वह अपने आने वाले शिशु के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार हो पाती है।

आपके सुझाव और अनुभव

कृपया कमेंट बॉक्स में अपना अनुभव साझा करें और बताएं कि यह अभ्यास आपको कैसा लगा। आपके सुझाव हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं और हमें आगे के विषयों को बेहतर बनाने में सहायक होंगे।

नमस्ते!

 

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